Ganakchakrachudamani Bhaskar (Sanskrit) | गणकचक्रचूडामणि भास्कर (संस्कृत)

Ganakchakrachudamani Bhaskar (Sanskrit) | गणकचक्रचूडामणि भास्कर (संस्कृत)

भारतीय खगोलशास्त्रस्य आद्य :

रचयिता अस्ति आर्यभट्ट : किन्तु तस्य 

क्ल्शाध्याय : तु भास्कराचार्येण 

लिखित : | अष्टाशतवर्षपूर्वम्  एष :

गणितशिरोमणि : दिवंगत : |

गणितविषयस्य इतिहासे स : 

अजरामर : अभवत् | तस्य 

लीलावतीग्रन्थे  विद्यमानं 

गणितविषयकं ज्ञानं अद्यापि 

आधुनिकान् जनान्  अपि

सम्मोहयति | तथैव भास्कराचार्यस्य 

उत्तुड्.गाया : प्रतिभाया : परिचयं

ददाति | कुशाग्रा बुद्धिमत्ता, विद्वत्ता,

पांडित्यं, कवितत्वं एतेषां नैकानां

गुणानां समुच्च्या : नाम 

भास्कराचार्य : | भारतीयसंस्कृत्या :

एकम् अद्वितायं रत्नं खलु एष : |

चतुर्दशत्यधिकएकादशेशते 

ख्रिस्ताब्दे, सह्यकुलाचलाश्रिते ग्रामे

स : अजायत | अद्य नवशतवर्षाणि

अतीतानि | भास्कराचार्यस्य कार्य 

परिचय : आधुनिकान् जनान् 

मयैवकरणीय: इति अनेन विचारेण

अहं प्रेरित : | अतएव 

'कविवृन्दवन्दितपद :

श्रीभास्काराचार्य  :' इति अनेन 

ग्रन्थरूपेण भास्कराचार्येभ्य : मया

दत्ता एषा मानवंदना |





ISBN: 978-81-7434-781-7
  • बाईंडिंग : कार्ड बाईंडिंग
  • आकार : ७" X ९.५"
  • पहिली आवृत्ती : जानेवारी २०१४
  • मुखपृष्ठ : अनिल दाभाडे
  • राजहंस क्रमांक : A-08-2014
M.R.P ₹ 100
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